संसद भवन

पुराने संसद भवन को ‘संविधान सदन’ में बदलने का प्रस्ताव – Old Sansad Bhavan

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों सदनों के नए भवन में शिफ्ट होने के बाद पुराने संसद भवन (Old Sansad Bhavan) का नाम ‘संविधान सदन’ रखने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि इस भवन को केवल पुरानी इमारत के रूप में ना जाना जाये, इस भवन की गरिमा को बनाये रखने के लिए इसे ‘संविधान सदन’ के रूप में संदर्भित करना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रस्ताव को मंगलवार को प्रस्तुत किया, जब 28 मई, 2023 को वे नए संसद भवन में अपने कार्यालय को स्थानांतरित कर रहे थे। वे इस समय नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का भाग थे।

'संविधान सदन' के रूप में संदर्भित करने का सुझाव

प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रस्ताव के पीछे एक महत्वपूर्ण सोच का परिप्रेक्ष्य दिया। उन्होंने कहा कि इस भवन को ‘संविधान सदन’ के रूप में संदर्भित करने से इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को प्रमोट किया जा सकता है। यह इमारत एक ऐतिहासिक स्थल है जहां पिछले 75 वर्षों से संसद सत्र आयोजित होते रहे हैं, और यह भवन भारतीय लोकतंत्र की महत्वपूर्ण गद्दी का प्रतीक चिन्ह है।

प्रधानमंत्री ने यह भी जताया कि इस नामकरण के माध्यम से उन्हें उन नेताओं को श्रद्धांजलि देने का मौका मिलेगा जिन्होंने संसद में इतिहास बनाया है। उन्होंने कहा, “हमें भविष्य की पीढ़ियों को यह उपहार देने का अवसर नहीं छोड़ना चाहिए।”

संसद सदस्यों को उपहार बैग

नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने सभी सांसदों को एक उपहार बैग दिया। इस बैग में संसद के संबंध में कई महत्वपूर्ण चीजें थीं, जैसे कि संविधान की एक प्रति, संसद से संबंधित किताबें, एक स्मारक सिक्का और एक उद्घाटन समारोह का टिकट। यह उपहार बैग उन संसद सदस्यों के लिए एक स्मृतिचिह्न है जो नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का हिस्सा रहे।

संसद भवन के कर्मचारियों के लिए भी बदलाव

नए संसद भवन में शिफ्ट होने के साथ ही संसद कर्मचारियों की वर्दी में भी बदलाव आएगा। इसमें चैंबर अटेंडेंट, अधिकारी, सुरक्षाकर्मी, ड्राइवर और मार्शल शामिल हैं, जो विशेष सत्र के दौरान नई वर्दी पहने नजर आएंगे। यह नई वर्दी उनकी जिम्मेदारियों को और भी महत्वपूर्ण बना देगी, और वे अपने काम को और सजीव तरीके से निभा सकेंगे।

भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रस्ताव ‘संविधान सदन’ के रूप में पुराने संसद भवन को पुनः नामकरण करने का है, जो कि भारतीय लोकतंत्र के समर्थन में एक महत्वपूर्ण कदम है । यह नामकरण इस इमारत की गरिमा को बढ़ावा देगा और उसे एक नया जीवन देगा। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि हमें अपने ऐतिहासिक स्थलों की संरक्षण का समर्थन करना चाहिए ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी उनका आनंद ले सकें।

इस प्रस्ताव ने संसद सदस्यों के बीच एक नई ऊर्जा का सृजन किया है और यह दिखाता है कि सरकार भारतीय संसद के महत्व को समझती है और उसकी गरिमा को महत्वपूर्ण मानती है।

संविधान सदन: एक नया आरंभ

इस प्रस्ताव के साथ, पुराने संसद भवन को ‘संविधान सदन’ में बदलने का प्रस्ताव एक नया आरंभ हो सकता है। यह आरंभ हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है और हमारी नई संसद भवन के उद्घाटन के साथ हम एक नए और उत्कृष्ट भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।

इस प्रस्ताव का स्वागत है और यह एक सकारात्मक पथ पर हमें ले जा सकता है, जिससे हमारे देश का नाम और गरिमा बढ़ सकते हैं। नई संसद भवन और उसके नामकरण से हम भारतीय लोकतंत्र के महत्व को स्थायित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहे हैं, और इससे हमारे देश के लिए एक नया आदर्श स्थापित किया जा सकता है।

Leave a Reply