9-beautiful places of Rajasthan in monsoon season

राजस्थान – मौनसून सीजन में एक्सप्लोर करें ये खूबसूरत जगहें

मरुभूमि राजस्थान अपने रेतीले भूदृश्यों, शानदार पर्यटन स्थलों और समृद्ध संस्कृति के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। बारिश के मौसम में राजस्थान की शुष्क भूमि हरी-भरी हो जाती है और चारों ओर एक नई रंगत और सुंदरता में बिखर जाती है। यहाँ हम आपको राजस्थान की कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताएंगे जो मानसून के दौरान बेहद खूबसूरत हो जाती हैं और आप यहाँ अपने परिवार और दोस्तों के साथ सुकून भरे  पल बिता सकते हैं।

उदयपुर | Udaipur

यह शहर अपने खूबसूरत झीलों और महलों के लिए जाना जाता है। मानसून के दौरान इसका सौंदर्य और भी बढ़ जाता है। बारिश की बूंदों से यहां की झीलें, महल, और बाग-बगीचे निखर उठते हैं। उदयपुर में मानसून के दौरान मौसम सुहावना हो जाता है और यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक होती है।

⦿ झीलों का अद्भुत दृश्य: उदयपुर को “झीलों का शहर” भी कहा जाता है, यहाँ की झीलें अपनी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं।

  • पिछोला झील उदयपुर (Lake Pichola Udaipur) की सबसे पुरानी और प्रसिद्ध झील है। इसका निर्माण 1362 ईस्वी में बंजारा जनजाति के द्वारा करवाया गया था। झील के बीचोंबीच स्थित जग निवास (ताज लेक पैलेस) और जग मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थल हैं।
  • फतेह सागर झील (Fateh Sagar Lake, Udaipur) का निर्माण 1678 ईस्वी में महाराणा फतेह सिंह ने करवाया था। झील के बीच में नेहरू गार्डन स्थित है, जहाँ नाव के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। मोती मगरी, एक ऐतिहासिक स्थल, भी इसी झील के किनारे स्थित है।
  • उदयसागर झील (Udai Sagar Lake) महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने 1565 ईस्वी में करवाया था। यह झील उदयपुर शहर से लगभग 13 किमी दूर स्थित है। यह झील सिंचाई और पानी की आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है।
  • स्वरूप सागर झील (Swaroop Sagar) को अंबा देवी झील भी कहा जाता है और इसका निर्माण महाराणा स्वरूप सिंह ने करवाया था। यह झील पिछोला झील और फतेह सागर झील के साथ मिलकर एक जल निकाय प्रणाली का निर्माण करती है। झील के किनारे सुंदर बाग और हरे-भरे क्षेत्र हैं, जो यहाँ की सुंदरता को बढ़ाते हैं।
  • दूध तलाई झील (Dudh Talai Lake) एक छोटी लेकिन आकर्षक झील है, जो पिछोला झील के पास स्थित है। यहाँ से सूर्यास्त का दृश्य अद्वितीय होता है।

मानसून के दौरान ये झीलें भर जाती हैं और इनके किनारे घूमना बहुत सुखद अनुभव होता है। झीलों के साफ पानी में महलों और पहाड़ियों की परछाई देखकर मन मंत्रमुग्ध हो जाता है।

⦿ सज्जनगढ़ पैलेस (Sajjangarh Monsoon Palace): सज्जनगढ़ पैलेस, जिसे मोनसून पैलेस भी कहा जाता है, उदयपुर, राजस्थान में स्थित एक भव्य महल है। इस महल का निर्माण महाराणा सज्जन सिंह ने 1884 में करवाया था जो उदयपुर के मेवाड़ राजवंश के एक प्रमुख शासक थे। यह अरावली पहाड़ियों के बंसदारा पर्वत की चोटी पर स्थित है। सज्जनगढ़ पैलेस अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व के कारण उदयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहाँ आने वाले पर्यटक महल की भव्यता, अद्भुत दृश्यों और शांत वातावरण का आनंद लेते हैं।

सज्जनगढ़ पैलेस की वास्तुकला राजपूत शैली में है और यह सफेद संगमरमर से बना हुआ है। महल के अंदरूनी हिस्सों में शानदार नक्काशी और जटिल डिज़ाइन देखने को मिलते हैं। महल की खिड़कियों और बालकनी से उदयपुर की झीलों और अरावली पहाड़ियों का शानदार नजारा दिखाई देता है। सज्जनगढ़ पैलेस को मोनसून पैलेस भी कहा जाता है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य मानसून के बादलों और मौसम का अवलोकन करना था। यहाँ से मानसून के दौरान बादलों का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है, जो इसे और भी आकर्षक बनाता है। महल के चारों ओर का क्षेत्र हरे-भरे जंगलों और वन्यजीवों से भरा हुआ है। यहाँ से पिछोला झील, फतेह सागर झील और उदयपुर शहर का शानदार दृश्य देखा जा सकता है। सूर्यास्त के समय महल से देखने पर अद्वितीय दृश्य दिखाई देता है, जो पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण है।

सज्जनगढ़ पैलेस के पास स्थित सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य भी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। यह अभयारण्य विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों और पक्षियों का घर है, और यहाँ ट्रेकिंग और वन्यजीव देखने का आनंद लिया जा सकता है।

⦿ सिटी पैलेस (City Palace): सिटी पैलेस, उदयपुर का एक प्रमुख ऐतिहासिक महल है जो राजस्थान राज्य में स्थित है। यह महल पिछोला झील के पूर्वी तट पर स्थित है और अपनी भव्य वास्तुकला, ऐतिहासिक महत्व और शानदार दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। सिटी पैलेस का निर्माण 1559 में महाराणा उदय सिंह द्वितीय द्वारा किया गया था और इसे मेवाड़ राजवंश की कई पीढ़ियों ने विस्तार दिया।

सिटी पैलेस राजस्थानी और मुगल वास्तुकला का मिश्रण है। महल में कई आलीशान महल, आंगन, गलियारे और गैलरी शामिल हैं। महल की दीवारें और दरवाजे सुंदर नक्काशी और जटिल डिजाइन से सजाए गए हैं। महल के मुख्य प्रवेश द्वार को ‘बड़ी पोल’ कहा जाता है। इसके बाद ‘त्रिपोलिया गेट’ आता है, जहाँ शाही परिवार के सदस्य रथ पर सवार होकर आते थे।

  • आमर विलास: यह महल का सबसे ऊँचा हिस्सा है और यहाँ से पिछोला झील और उदयपुर का शानदार दृश्य देखा जा सकता है।
  • कर्ण विलास: यह महल का एक और प्रमुख हिस्सा है, जो शाही समारोहों के लिए इस्तेमाल होता था।
  • जगत निवास: इस महल का एक हिस्सा अब एक हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है।
  • संग्रहालय:सिटी पैलेस संग्रहालय में मेवाड़ राजवंश की समृद्ध विरासत और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।यहाँ प्राचीन हथियार, वस्त्र, चित्रकला, और हस्तशिल्प का संग्रह प्रदर्शित किया गया है।
  • क्रिस्टल गैलरी:सिटी पैलेस में स्थित क्रिस्टल गैलरी में विश्व का सबसे बड़ा और दुर्लभ क्रिस्टल संग्रह है।यहाँ क्रिस्टल फर्नीचर, झूमर, और अन्य अद्वितीय वस्त्रों का संग्रह प्रदर्शित किया गया है।
  • सूरज गोखड़ा:यह एक बालकनी है, जहाँ से महाराणा अपने प्रजा को संबोधित करते थे।यह स्थान अब पर्यटकों के बीच एक प्रमुख आकर्षण बन गया है।

सिटी पैलेस अपनी भव्यता और ऐतिहासिक धरोहर के कारण उदयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहाँ आने वाले पर्यटक महल की सुंदरता, संग्रहालय की धरोहर और अद्वितीय वास्तुकला का आनंद लेते हैं। यह महल न केवल इतिहास प्रेमियों के लिए बल्कि कला और संस्कृति में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए भी एक आदर्श स्थल है

⦿ अंब्राइ घाट: अंब्राइ घाट, उदयपुर में स्थित एक प्रसिद्ध घाट है जो पिछोला झील के किनारे पर स्थित है। यह घाट अपने शांत और सुंदर वातावरण के लिए जाना जाता है और यहाँ से पिछोला झील और सिटी पैलेस का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य बेहद मनमोहक होता है। यह घाट फोटोग्राफी के लिए एक उत्कृष्ट स्थान है। पर्यटक यहाँ आकर पिछोला झील, सिटी पैलेस, और आसपास के प्राकृतिक दृश्यों की तस्वीरें लेते हैं। झील के किनारे बैठकर फोटोग्राफी करना और यहाँ की सुंदरता को कैद करना एक खास अनुभव होता है।

अंब्राइ घाट पर अक्सर स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रम और संगीत समारोह आयोजित किए जाते हैं। यहाँ विभिन्न त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान विशेष आयोजन होते हैं, जो पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति और परंपराओं से रूबरू कराते हैं। अंब्राइ घाट का वातावरण बहुत ही शांत और सुकून भरा होता है, जो मन को शांति और आराम प्रदान करता है। यहाँ बैठकर झील के शांत पानी को निहारना और ठंडी हवा का आनंद लेना एक अविस्मरणीय अनुभव होता है।

बारिश की बूंदों के साथ झीलों और महलों का दृश्य उदयपुर को रोमांटिक बनाता है। यहाँ की हवाओं में एक अलग ही ताजगी होती है जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। यहाँ का सौंदर्य और मौसम दोनों ही मन मोह लेते हैं और यह समय यहाँ घूमने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।

माउंट आबू:

बारिश के दिनों में माउंट आबू की सुंदरता अप्रतिम होती है। यह राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है और मानसून के दौरान यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर होता है। माउंट आबू का हर कोना हरी-भरी हरियाली और ताजगी से भर जाता है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।

⦿ नक्की झील: नक्की झील राजस्थान के माउंट आबू में स्थित एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। यह झील अरावली पर्वत श्रृंखला में समुद्र तल से लगभग 1,200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। नक्की झील न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए बल्कि इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। नक्की झील के बारे में एक लोककथा प्रचलित है कि यह झील देवताओं द्वारा अपने नाखूनों (नखों) से खोदी गई थी। इसी कारण इसे नक्की झील कहा जाता है। यह झील धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है और यहाँ विभिन्न त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान भक्तों की भीड़ रहती है।

नक्की झील में बोटिंग का आनंद लेना यहाँ के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। पर्यटक पेडल बोट और शिकारा बोट के माध्यम से झील के चारों ओर घूम सकते हैं और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।नक्की झील का अद्भुत सौंदर्य, शांत वातावरण और इसके चारों ओर के आकर्षक स्थल इसे माउंट आबू के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बनाते हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक न केवल झील की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हैं, बल्कि यहाँ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भी रूबरू होते हैं।

⦿ गुरु शिखर: गुरु शिखर अरावली पर्वत श्रृंखला का सबसे ऊँचा शिखर है, जो राजस्थान के सिरोही जिले में माउंट आबू के पास स्थित है। इसकी ऊँचाई लगभग 1722 मीटर (5650 फीट) है। यह शिखर न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है, बल्कि यह धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। गुरु शिखर पर एक प्रसिद्ध दत्तात्रेय मंदिर है, जो भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है। भगवान दत्तात्रेय को हिंदू धर्म में त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का अवतार माना जाता है। इस मंदिर में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और यहाँ से आसपास का अद्भुत नज़ारा भी देख सकते हैं।

गुरु शिखर पर एक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का वेधशाला भी स्थित है, जिसे गुरु शिखर वेधशाला के नाम से जाना जाता है। यह वेधशाला खगोल विज्ञान के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।

⦿ दिलवाड़ा मंदिर: दिलवाड़ा मंदिर राजस्थान के सिरोही जिले में माउंट आबू में स्थित एक प्रसिद्ध जैन मंदिर समूह है। यह मंदिर अपने अद्वितीय संगमरमर की नक्काशी और भव्य वास्तुकला के लिए विश्वविख्यात है। दिलवाड़ा मंदिर समूह में कुल पाँच प्रमुख मंदिर शामिल हैं, जिन्हें 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच बनाया गया था। इन मंदिरों का निर्माण जैन समुदाय के प्रमुख व्यक्तियों और राजाओं द्वारा करवाया गया था।

दिलवाड़ा मंदिरों में संगमरमर पर की गई उत्कृष्ट नक्काशी के कारण ये मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। स्तंभों, गुंबदों, द्वारों और दीवारों पर की गई जटिल नक्काशी अद्वितीय है। विमल वसाही मंदिर में गुंबद के नीचे की गई कमल की नक्काशी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। हर मंदिर का एक परिक्रमा पथ है, जहां संगमरमर के बड़े-बड़े पत्थरों पर जैन धर्म की कथाएँ उकेरी गई हैं। दिलवाड़ा मंदिर का सौंदर्य और उसकी वास्तुकला इसे धार्मिक और पर्यटक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण बनाते हैं। यहाँ आने वाले लोग न केवल आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं, बल्कि भारतीय स्थापत्य कला की उत्कृष्टता का भी साक्षात्कार करते हैं।

⦿ टोड रॉक और हनीमून पॉइंट: टोड रॉक, जिसे टॉड रॉक भी कहा जाता है, माउंट आबू में स्थित एक प्रसिद्ध प्राकृतिक चट्टान संरचना है। यह चट्टान एक टोड (मेंढक) के आकार की है, इसलिए इसे टोड रॉक कहा जाता है। यह चट्टान एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है यहाँ से नक्की झील, पहाड़ियों और आसपास के हरित क्षेत्र का सुंदर दृश्य देखने को मिलता है। हनीमून पॉइंट माउंट अपने रोमांटिक वातावरण और शानदार दृश्यों के लिए जाना जाता है। हनीमून पॉइंट का नाम इसकी शांत और सुंदरता भरी प्राकृतिक वातावरण की वजह से पड़ा है, जो नवविवाहित जोड़ों को बहुत पसंद आता है। हनीमून पॉइंट से सूर्यास्त का दृश्य बेहद आकर्षक होता है। यहाँ से दूर-दूर तक फैले अरावली पहाड़ियों का अद्भुत नजारा दिखाई देता है। हरा-भरा और सुहावना परिवेश पिकनिक के लिए भी बहुत ही अच्छा है, जो मन को शांति और सुकून प्रदान करता है।

टोड रॉक और हनीमून पॉइंट दोनों ही माउंट आबू के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं, जो प्राकृतिक सुंदरता और अद्वितीय दृश्य प्रदान करते हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक इन स्थलों का आनंद लेकर अपनी यात्रा को यादगार बना सकते हैं।

⦿ वाइल्डलाइफ सेंचुरी: वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित एक प्रमुख पर्यावरणीय स्थल है। यह अभयारण्य 288 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और 1960 में स्थापित किया गया था। यह अभयारण्य माउंट आबू की पहाड़ियों में स्थित है और यहाँ की वनस्पति और जीव-जंतु विविधता के लिए प्रसिद्ध है।

माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य में विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, जिनमें शुष्क पर्णपाती वन, अर्ध-सदाबहार वन और झाड़ियाँ शामिल हैं। यहाँ पर बांस, साल, सागौन और बेर के पेड़ प्रमुख रूप से पाए जाते हैं। इस अभयारण्य में तेंदुआ, जंगली सूअर, भेड़िया, सियार, लोमड़ी, सियार और सुस्त भालू जैसे स्तनधारी जीव-जंतु पाए जाते हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार की चिड़ियाँ भी देखने को मिलती हैं, जिनमें ग्रे जंगल फाउल, पैरेट, किंगफिशर और ईगल प्रमुख हैं। अभयारण्य में ट्रेकिंग और हाइकिंग के लिए विभिन्न ट्रेल्स उपलब्ध हैं, जिन पर पर्यटक चल सकते हैं और वन्यजीवन का अनुभव कर सकते हैं। वन्यजीव प्रेमियों के लिए यहाँ बर्ड वॉचिंग एक प्रमुख गतिविधि है।

पर्यटक जीप सफारी का भी आनंद ले सकते हैं, जिससे वे अभयारण्य के अंदर गहराई तक जा सकते हैं और वन्यजीवों को करीब से देख सकते हैं। यह अभयारण्य न केवल वनस्पति और जीव-जंतु की विविधता को संरक्षण प्रदान करता है, बल्कि पर्यटकों को प्रकृति के करीब आने और उसकी सुंदरता का अनुभव करने का अवसर भी प्रदान करता है।

जैसलमेर :

जैसलमेर, जिसे “स्वर्ण नगरी” भी कहा जाता है, राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह शहर अपने सुनहरे किले, विशाल रेगिस्तान और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर और प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। बारिश के दिनों में जैसलमेर में घूमने के प्रमुख स्थान निम्नलिखित हैं:

⦿ जैसलमेर किला (सोनार किला): जैसलमेर किला, जिसे सोनार किला भी कहा जाता है, राजस्थान के जैसलमेर शहर में स्थित है। यह किला अपनी सुनहरी चमक और भव्य वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। जैसलमेर किला का निर्माण 1156 ईस्वी में भाटी राजपूत शासक रावल जैसल ने करवाया था। यह किला त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित है, जिससे यहाँ से पूरे जैसलमेर शहर और आसपास के रेगिस्तान का शानदार दृश्य देखा जा सकता है। यह किला पूरी तरह से पीले बलुआ पत्थर से बना है, जिससे यह सूरज की रोशनी में सोने जैसा चमकता है। सूर्यास्त के समय किले का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। किले की दीवारें 30 फीट ऊँची हैं और इसकी परिधि 5 किलोमीटर है। किले के अंदर कई महल, मंदिर, और हवेलियाँ स्थित हैं, जो राजपूत वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। 

  • महारावल का महल : किले के अंदर महारावल का महल है, जो कई मंजिलों में बंटा हुआ है और इसमें सुंदर झरोखे, बालकनियाँ और आँगन हैं। महल के दीवारों पर भव्य चित्रकला और जटिल नक्काशी की गई है।
  • जैन मंदिर: किले के अंदर 12वीं और 15वीं शताब्दी के बीच निर्मित कई जैन मंदिर हैं। ये मंदिर अपनी उत्कृष्ट शिल्पकला और संगमरमर की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं। प्रमुख मंदिरों में चंद्रप्रभु मंदिर, ऋषभदेव मंदिर, और पार्श्वनाथ मंदिर शामिल हैं।
  • लक्ष्मीनाथ मंदिर: यह मंदिर हिंदू देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित है और किले के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है।मंदिर की वास्तुकला और मूर्तियों की नक्काशी अत्यंत सुंदर है।
  • किले के द्वार: जैसलमेर किला के चार प्रमुख द्वार हैं: अखा पोल, गणेश पोल, सूरज पोल, और हवा पोल। ये द्वार किले की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे और आज भी अपनी भव्यता को दर्शाते हैं।
  • संग्रहालय और गैलरी: किले के अंदर संग्रहालय और गैलरी भी हैं, जहाँ जैसलमेर के इतिहास, संस्कृति, और राजपूत कला के उत्कृष्ट उदाहरण प्रदर्शित किए गए हैं। यहाँ पुराने हथियार, वस्त्र, पेंटिंग, और हस्तशिल्प का संग्रह देखा जा सकता है।

⦿ पटवों की हवेली : यह हवेली जैसलमेर में स्थित एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है। यह हवेली अपने शानदार वास्तुकला, जटिल नक्काशी और समृद्ध ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। पटवों की हवेली का निर्माण गोपालजी पटवा द्वारा करवाया गया था, जो एक समृद्ध व्यापारी और बैंकिंग परिवार से थे। इस का निर्माण 1805 में शुरू हुआ और इसे पूरा होने में लगभग 50 साल लगे। यह हवेली पटवा परिवार की समृद्धि और शाही जीवन शैली का प्रतीक है। हवेलियों का उपयोग कभी-कभी व्यापारिक लेन-देन और सामाजिक समारोहों के लिए भी किया जाता था।

पटवों की हवेली पाँच अलग-अलग हवेलियों का एक समूह है, जो एक ही परिसर में स्थित हैं। हवेलियाँ पीले बलुआ पत्थर से बनी हैं और इनकी दीवारों पर जटिल नक्काशी की गई है। हवेलियों की खिड़कियाँ, बालकनियाँ और झरोखे सुंदर नक्काशी और उत्कृष्ट शिल्पकला का उदाहरण हैं। हवेलियों के अंदर की दीवारों पर सुंदर चित्रकला और भित्ति चित्र बने हुए हैं। यहाँ की सजावट में शीशे का काम, सोने की पत्ती का काम और जटिल लकड़ी की नक्काशी शामिल है।

हवेलियों के पास स्थित स्थानीय बाजार भी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, जहाँ वे स्थानीय हस्तशिल्प, वस्त्र और गहने खरीद सकते हैं। यहाँ की संकरी गलियों में घूमते हुए पर्यटक स्थानीय जीवन शैली और संस्कृति को भी करीब से देख सकते हैं।

⦿ गड़ीसर झील: यह झील जैसलमेर की एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह एक मानव निर्मित जलाशय है जिसे 14वीं शताब्दी में महाराजा गड़ी सिंह ने बनवाया था। इस झील का मुख्य उद्देश्य शहर को जल आपूर्ति करना था, क्योंकि जैसलमेर एक रेगिस्तानी क्षेत्र है और यहाँ जल की कमी होती थी।

गड़ीसर झील अपने सुंदर और शांत वातावरण के लिए जानी जाती है। झील के चारों ओर कई छोटे मंदिर और छतरियाँ स्थित हैं, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाते हैं। झील के किनारे पर बने यह मंदिर और छतरियाँ वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण हैं। 

गड़ीसर झील का एक और प्रमुख आकर्षण है ‘तीर्थ स्थल’, जो एक सुन्दर गेटवे है और झील के प्रवेश द्वार पर स्थित है। इसे जैसलमेर के महाराजा द्वारा बनवाया गया था और यह अपने अद्वितीय वास्तुकला और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।

गड़ीसर झील पर पर्यटक नौकायन का आनंद ले सकते हैं। बारिश के मौसम में नौकायन करने से झील और उसके आसपास के सुंदर दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। इसके अलावा, झील के पास स्थित विभिन्न पक्षी प्रजातियाँ पक्षी प्रेमियों को आकर्षित करती हैं। सर्दियों के महीनों में यहाँ कई प्रवासी पक्षी भी देखने को मिलते हैं।

⦿ बड़ा बाग : बड़ा बाग, जैसलमेर के पास स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अपनी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। बड़ा बाग का शाब्दिक अर्थ है “बड़ा बगीचा,”  इसका निर्माण महाराजा जय सिंह II ने 16वीं शताब्दी में अपने पिता महारावल जैत सिंह की स्मृति में करवाया था। यहाँ पर कई छतरियाँ हैं, जो विभिन्न शासकों, रानियों और राजपरिवार के अन्य सदस्यों के स्मारक हैं। इन छतरियों की वास्तुकला अद्वितीय है और इनमें बारीक नक्काशी और सुंदर स्थापत्य कला देखने को मिलती है।

  • छतरियाँ: यहाँ पर विभिन्न आकार और डिजाइन की छतरियाँ हैं, जो जैसलमेर के शासकों की याद में बनाई गई हैं। इन छतरियों की नक्काशी और वास्तुकला बहुत ही सुंदर और अद्वितीय है। प्रत्येक छतरी में शासक की जीवन कहानी और उनके योगदान की झलक मिलती है।
  • सूर्यास्त का दृश्य: बड़ा बाग से सूर्यास्त का दृश्य अद्वितीय होता है। रेत के टीलों के पीछे सूर्यास्त होते समय का दृश्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। यह समय फोटोग्राफी के लिए भी सबसे अच्छा माना जाता है।
  • संगीत और संस्कृति: बड़ा बाग के पास स्थित गाँवों में पर्यटक स्थानीय लोक संगीत और नृत्य का आनंद ले सकते हैं। यहाँ के लोग बहुत ही मिलनसार होते हैं और पर्यटकों का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं।
  • प्राकृतिक सौंदर्य: बड़ा बाग का हरा-भरा वातावरण और चारों ओर फैले पेड़-पौधे इस स्थान की सुंदरता को और बढ़ा देते हैं। यहाँ की शांति और सुकून भरा वातावरण पर्यटकों को आकर्षित करता है।

वैसे तो बड़ा बाग की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है, जब मौसम ठंडा और सुहावना रहता है, लेकिन बारिश के मौसम में जैसलमेर घुमने का अलग ही मजा है। इस समय पर्यटक इस स्थान की सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व का पूरा आनंद ले सकते हैं।

जयपुर :

जयपुर, जिसे “पिंक सिटी” के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान की राजधानी और एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहाँ की ऐतिहासिक इमारतें, महल, किले और संस्कृति पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। जयपुर में कई महत्वपूर्ण स्थल हैं जिन्हें देखना अनिवार्य है:

⦿ आमेर किला : आमेर किला का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा मान सिंह – 1 ने करवाया था और इसे बाद में उनके उत्तराधिकारियों द्वारा विस्तार दिया गया। यह किला राजपूत वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है और इसमें हिंदू और मुगल शैली का मेल देखने को मिलता है।

इसे किला के प्रमुख आकर्षण:

  • शिला देवी मंदिर: किले के प्रवेश द्वार के पास स्थित यह मंदिर काली माता को समर्पित है। इस मंदिर में शिला देवी की मूर्ति है, जिसे राजा मान सिंह बंगाल से लेकर आए थे।
  • दीवान-ए-आम: इसे जनाना दरबार भी कहा जाता है। यह आम जनता के लिए था जहाँ राजा जन सुनवाई करते थे और लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे।
  • दीवान-ए-खास: यह खास दरबार है जहाँ राजा अपने विशेष दरबारियों और मेहमानों से मिलते थे। इस हॉल में शानदार नक्काशी और चित्रकारी देखने को मिलती है।
  • शीश महल: शीश महल, जिसे मिरर पैलेस भी कहा जाता है, किले का सबसे प्रसिद्ध हिस्सा है। यह महल छोटे-छोटे शीशों से सजा हुआ है, जो रात के समय दीयों की रोशनी में चमकते हैं और एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
  • सुख निवास: यह महल राजा का विश्राम स्थल था। यहाँ एक अद्वितीय वातानुकूलित प्रणाली है, जिसमें जल प्रवाह से हवा को ठंडा किया जाता था।
  • जलेब चौक: यह मुख्य आंगन है जहाँ राजा और उनके सैनिक जुलूस के बाद इकट्ठे होते थे। यहाँ से किले के अन्य हिस्सों में आसानी से जाया जा सकता है।

आमेर किले की यात्रा के दौरान कुछ विशेष गतिविधियाँ:

  • हाथी की सवारी: आमेर किले की यात्रा का एक प्रमुख आकर्षण है हाथी की सवारी। पर्यटक हाथी की सवारी करते हुए किले के मुख्य द्वार तक पहुँच सकते हैं, जो एक राजसी अनुभव प्रदान करता है।
  • साउंड और लाइट शो: आमेर किले में शाम के समय साउंड और लाइट शो का आयोजन होता है, जिसमें किले का इतिहास और राजपूत शौर्य की कहानियाँ प्रस्तुत की जाती हैं। यह शो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में होता है।
  • फोटोग्राफी: आमेर किला फोटोग्राफी के लिए एक उत्कृष्ट स्थान है। यहाँ की भव्यता, वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य फोटोग्राफर्स को आकर्षित करता है।

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