क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते |
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्तवोत्तिष्ठ परन्तप || ३ ||
हे पृथापुत्र! इस हीन नपुंसकता को प्राप्त मत होओ । यह तुम्हेँ शोभा नहीं देती । हे शत्रुओं के दमनकर्ता! हृदय की क्षुद्र दुर्बलता को त्याग कर युद्ध के लिए खड़े होओ ।
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