हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम् ।
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्र्चयः ।। ३७ ।।
हे कुन्तीपुत्र! तुम यदि युद्ध में मारे जाओगे तो स्वर्ग प्राप्त करोगे या यदि तुम जीत जाओगे तो पृथ्वी के साम्राज्य का भोग करोगे । अतः दृढ़ संकल्प करके खड़े होओ और युद्ध करो ।
गीता सार-श्रीमद् भगवद्गीता-अध्याय-2.37, Geeta Saar-Srimad Bhagavad Gita-2.37पीछे जाएँ | श्रीमद् भगवद्गीता – गीता सार – अध्याय – 2.37 | आगे जाएँ |