या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी ।
यस्यां जा ग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः ।। ६९ ।।
जो सब जीवों के लिए रात्रि है, वह आत्मसंयमी के जागने का समय है और जो समस्त जीवों के जागने का समय है वह आत्मनिरीक्षक मुनि के लिए रात्रि है ।
गीता सार-श्रीमद् भगवद्गीता-अध्याय-2.69, Geeta Saar-Srimad Bhagavad Gita-2.69पीछे जाएँ | श्रीमद् भगवद्गीता – गीता सार – अध्याय – 2.69 | आगे जाएँ |