भारतवर्ष, जो उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैला हुआ है, एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समृद्ध उपमहाद्वीप है। डॉ० राजबली पाण्डेय के अनुसार, इस देश का नाम ऋग्वेद में वर्णित एक शक्तिशाली और सभ्य जन-समुदाय भरत के नाम पर पड़ा। विष्णुपुराण में इसे समुद्र के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में स्थित एक देश के रूप में वर्णित किया गया है, जहाँ के निवासियों को भारती कहा गया है:

उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमादेश्चैव दक्षिणम्।
वर्ष तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः।

भारतवर्ष के अतिरिक्त इस देश के दो अन्य प्रचलित नाम हिन्दुस्तान और इण्डिया भी हैं। ‘हिन्दुस्तान’ नाम मूलतः ईरानियों की देन है। ईरानी भाषा में ‘स’ को ‘ह’ उच्चारित किया जाता है, इसलिए उन्होंने सिंधु नदी को हिन्दु और उसके समीप स्थित प्रदेश को हिन्दुस्थान कहा, जो बाद में ‘हिन्दुस्तान’ के रूप में प्रचलित हो गया। इसी प्रकार ‘इण्डिया’ नाम मूलतः यूनानियों से आया है। वे सिंधु नदी को इण्डस कहते थे और उसी के आधार पर उन्होंने उस क्षेत्र को ‘इण्डिया’ नाम दिया। हालांकि 1947 ई. में अंग्रेजों से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, इस देश का संविधान में भारत नाम को ही स्वीकार किया गया।

प्राचीन काल में भारत की सीमाएँ उत्तर-पश्चिम में पामीर के पठार और हिन्दुकुश पर्वत से लेकर पूर्व में नागा, खासी, गोरा आदि पहाड़ियों तक और उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक विस्तृत थीं। भौगोलिक दृष्टि से इस देश को चार भागों में बाँटा गया था:

उत्तर का पहाड़ी क्षेत्र: इसके अन्तर्गत कश्मीर, कांगड़ा, टेहरी, कुमायूँ और सिक्किम के क्षेत्र आते थे, जहाँ के पूर्वी तथा उत्तरी प्रदेशों में मूलतः किरात जाति के लोग रहते थे।

गंगा-घाटी का क्षेत्र: मनुस्मृति में पूर्वी समुद्र से लेकर पश्चिमी समुद्र तक तथा हिमालय से लेकर विन्ध्याचल तक के क्षेत्र को आर्यावर्त के नाम से संबोधित किया गया है। सिंधु, गंगा, यमुना और इनकी सहायक नदियों से सिंचित यह क्षेत्र आर्यावर्त कहलाता था और यहाँ के निवासी आर्य कहलाते थे। यह भारत का सबसे उपजाऊ और सम्पन्न प्रदेश था।

दक्षिण का पठार: यह विन्ध्य पर्वत का पठारी क्षेत्र है, जिसमें नर्मदा नदी से लेकर कृष्णा और तुंगभद्रा के बीच का प्रदेश आता है। यहाँ मुख्यतः शबर, पुलिन्द आदि आदिवासी जातियाँ रहती थीं।

सुदूर दक्षिण के मैदान: कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के दक्षिण की ओर स्थित, तीनों ओर समुद्र से घिरा क्षेत्र सुदूर दक्षिण, द्रविड़ अथवा तमिल क्षेत्र कहलाता था और यहाँ निवास करने वाली जाति द्रविड़ जाति कहलाती थी।

भारत की भौगोलिक संरचना और सांस्कृतिक विविधता इसे एक अद्वितीय राष्ट्र बनाती है। इस देश में विभिन्न भाषाएँ, धर्म, और सांस्कृतिक धरोहरें हैं, लेकिन फिर भी यह देश एकता के सूत्र में बंधा हुआ है। प्राचीन काल से ही भारत एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर राष्ट्र रहा है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। भारतीय संस्कृति, जिसमें वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत और पुराणों का सम्मान पूरे राष्ट्र में एक समान है, सदियों से इस देश की पहचान रही है।