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"परम सत्य का ज्ञाता परमसत्य का अनुभव ज्ञान की तीन अवस्थाओं में करता है, और ये सब अवस्थाएँ एकरूप हैं। ये ब्रह्म, परमात्मा तथा भगवान् के रूप में व्यक्त की जाती हैं।"
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