न चैतद्विद्मः कतरन्नो गरियो यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयु: ।
यानेव हत्वा न जिजीविषाम- स्तेSवस्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः ।। ६ ।।
हम यह भी नहीं जानते कि हमारे लिए क्या श्रेष्ठ है – उनको जीतना या उनके द्वारा जीते जाना । यदि हम धृतराष्ट्र के पुत्रों का वध कर देते हैं तो हमें जीवित रहने की आवश्यकता नहीं है । फिर भी वे युद्धभूमि में हमारे समक्ष खड़े हैं
गीता सार-श्रीमद् भगवद्गीता-अध्याय-2.6, Geeta Saar-Srimad Bhagavad Gita-2.6पीछे जाएँ | श्रीमद् भगवद्गीता – गीता सार – अध्याय – 2.6 | आगे जाएँ |