राष्ट्रीय पहचान चिन्ह या राष्ट्रीय प्रतीक किसी भी देश की संस्कृति और धरोहर के महत्वपूर्ण प्रतीक होते हैं। भारत के राष्ट्रीय चिन्ह भारतीयों की पहचान और उनकी समृद्ध विरासत का मूलभूत हिस्सा हैं। ये प्रतीक भारतीय नागरिकों के दिलों में देशभक्ति, गर्व, और एकता की भावना को जागृत करते हैं।
भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों में तिरंगा, अशोक स्तंभ, जन गण मन, वंदे मातरम्, और मोर जैसे चिन्ह शामिल हैं, जो हमारे देश की विविधता, इतिहास, और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं। इन प्रतीकों का सम्मान और इनकी रक्षा करना हर भारतीय का कर्तव्य है, क्योंकि ये हमारे राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक हैं और हमें हमारे देश के महान इतिहास और मूल्यों की याद दिलाते हैं।
भारत का राजचिह्न
भारत का राजचिह्न सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं। इसके नीचे घंटे के आकार के पदम के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं, इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं। एक ही पत्थर को काट कर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर ‘धर्मचक्र’ रखा हुआ है।
राष्ट्रीय ध्वज - तिरंगा
राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में समान अनुपात में तीन क्षैतिज पट्टियां हैं: केसरिया रंग सबसे ऊपर, सफेद बीच में और हरा रंग सबसे नीचे है। ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद पट्टी के बीच में नीले रंग का चक्र है।
शीर्ष में केसरिया रंग देश की ताकत और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का संकेत है। हरा रंग देश के शुभ, विकास और उर्वरता को दर्शाता है।
इसका प्रारूप सारनाथ में अशोक के सिंह स्तंभ पर बने चक्र से लिया गया है। इसका व्यास सफेद पट्टी की चौड़ाई के लगभग बराबर है और इसमें 24 तीलियां हैं। भारत की संविधान सभा ने राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप 22 जुलाई 1947 को अपनाया।
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राष्ट्र–गान
भारत का राष्ट्र गान अनेक अवसरों पर बजाया या गाया जाता है। राष्ट्र गान के सही संस्करण के बारे में समय समय पर अनुदेश जारी किए गए हैं, इनमें वे अवसर जिन पर इसे बजाया या गाया जाना चाहिए और इन अवसरों पर उचित गौरव का पालन करने के लिए राष्ट्र गान को सम्मान देने की आवश्यकता के बारे में बताया जाता है। सामान्य सूचना और मार्गदर्शन के लिए इस सूचना पत्र में इन अनुदेशों का सारांश निहित किया गया है।
राष्ट्र–गीत
वन्दे मातरम गीत बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा संस्कृत में रचा गया है; यह स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था। इसका स्थान जन गण मन के बराबर है। 24 जनवरी, 1950 को राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में एक बयान दिया, “वंदे मातरम्, जो भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई है, जन गण मन के साथ समान रूप से सम्मानित किया जाएगा और इसके साथ बराबर का दर्जा होगा”|
इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था।
राष्ट्रीय पक्षी - मोर
भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है। मोर अपनी सुंदरता, आकर्षक पंखों, और अनोखी नृत्य शैली के लिए प्रसिद्ध है। इसे 26 जनवरी 1963 को भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था। मोर के पंखों का उपयोग भारतीय संस्कृति में शुभ संकेत के रूप में किया जाता है और इसे धार्मिक स्थलों पर भी देखा जा सकता है।
मोर का वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस है। यह पक्षी अपने नीले और हरे रंग के चमकीले पंखों के लिए जाना जाता है। भारतीय मोर, हंस के आकार का पक्षी, अपने सिर पर मुकुट के समान बनी कलगी और रंग-बिरंगी इंद्रधनुषी सुंदर तथा लंबी पूंछ से यह जाना जाता है। मोर का दरबारी नाच पंखों को घुमाना और पंखों को संवारना सुंदर दृश्य होता है। विशेष रूप से मानसून के मौसम में, मोर का नृत्य देखने योग्य होता है, जो एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
भारत में, मोर को धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान कृष्ण के सिर पर मोर पंख का मुकुट लगाया जाता है, जो इसे और अधिक पूजनीय बनाता है। इसके अलावा, मोर को अहिंसा और शांति का प्रतीक भी माना जाता है।
राष्ट्रीय पशु - बाघ
भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ है। बाघ को 1973 में राष्ट्रीय पशु के रूप में घोषित किया गया था। बाघ की प्रजाति का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा टाइग्रिस है। इसे उसकी ताकत, गरिमा, और भव्यता के कारण राष्ट्रीय पशु के रूप में चुना गया है। बाघ को भारतीय वन्यजीवन का प्रतीक माना जाता है और यह भारतीय संस्कृति में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
बाघ की सुंदरता, शक्ति, और शिकार करने की कुशलता उसे अद्वितीय बनाती है। इसका शरीर पीले-नारंगी रंग का होता है, जिस पर काले धारियां होती हैं, जो इसे जंगल में छिपने में मदद करती हैं। बाघ का अस्तित्व भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह खाद्य श्रृंखला में शीर्ष पर है और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायता करता है।
हालांकि, शिकार और आवास की कमी के कारण बाघों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। इसे बचाने के लिए भारत सरकार ने “प्रोजेक्ट टाइगर” जैसी पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य बाघों का संरक्षण और उनकी संख्या में वृद्धि करना है। बाघ को भारतीय वन्यजीवन के प्रतीक के रूप में देखने का अर्थ है कि इसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी हमारे ऊपर है।
राष्ट्रीय फूल - कमल
भारत का राष्ट्रीय फूल कमल है। कमल को भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं में एक विशेष स्थान प्राप्त है। यह फूल शुद्धता, ज्ञान, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। देवी लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं, को अक्सर कमल के फूल पर बैठे हुए चित्रित किया जाता है। कमल की विशेषता यह है कि यह कीचड़ में खिलता है, फिर भी उसकी पंखुड़ियाँ स्वच्छ और सुंदर बनी रहती हैं।
कमल का रंग, उसकी सुगंध और उसकी अनूठी संरचना इसे एक अद्वितीय फूल बनाते हैं। यह न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह देश के निवासियों को कठिन परिस्थितियों में भी शुद्ध और उन्नत रहने की प्रेरणा देता है।
राष्ट्रीय फल - आम
भारत का राष्ट्रीय फल आम है। आम को फलों का राजा कहा जाता है और इसे भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है। आम का वैज्ञानिक नाम मैंगिफेरा इंडिका है। भारत में आम की खेती हजारों वर्षों से की जा रही है, और यह न केवल स्वाद में बल्कि पोषण में भी भरपूर होता है।
आम का स्वादिष्ट और रसीला गूदा हर उम्र के लोगों को पसंद आता है। यह फल विटामिन ए, सी, और डी का अच्छा स्रोत है। भारत में आम की कई किस्में पाई जाती हैं, जैसे अल्फांसो, दशहरी, लंगड़ा, हापुस, केसर, आदि, जो अपने अनूठे स्वाद और सुगंध के लिए प्रसिद्ध हैं।
आम को भारतीय साहित्य, कला, और धार्मिक परंपराओं में भी विशेष स्थान प्राप्त है। आम के पेड़ को पवित्र माना जाता है, और इसके पत्तों का उपयोग शुभ अवसरों और पूजा में किया जाता है। भारत में आम के मौसम का बेसब्री से इंतजार किया जाता है, और गर्मियों में इसका खूब आनंद लिया जाता है।
आम न केवल भारत का राष्ट्रीय फल है, बल्कि यह भारतीय जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा भी है।
राष्ट्रीय वृक्ष - बरगद
भारत का राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है। बरगद का वैज्ञानिक नाम फ़ाइकस बेंगालेंसिस है। इस वृक्ष को इसकी विशालता, दीर्घायु, और सांस्कृतिक महत्व के कारण राष्ट्रीय वृक्ष के रूप में चुना गया है। बरगद का पेड़ अपनी जड़ों से कई तनों का निर्माण करता है, जिससे यह बहुत बड़े क्षेत्र में फैल सकता है और कई वर्षों तक जीवित रह सकता है।
बरगद के पेड़ को भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है। इसे स्थिरता, शक्ति, और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है। बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर ऋषि-मुनियों ने ज्ञान की प्राप्ति की है, इसलिए इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। भारतीय गांवों में बरगद के पेड़ के नीचे सामूहिक सभाएं और सामाजिक गतिविधियाँ होती थीं, इसलिए यह सामुदायिक एकता का भी प्रतीक है।
बरगद का पेड़ पर्यावरण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल छाया प्रदान करता है, बल्कि इसके पत्ते और जड़ें मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह कई पक्षियों और जानवरों के लिए आश्रय प्रदान करता है। बरगद का पेड़ भारतीय वनस्पति और जीवविज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यह हमारे प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
राष्ट्रीय नदी - गंगा
गंगा नदी भारत की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र नदी मानी जाती है। गंगा नदी न केवल भारत की भौगोलिक संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक, धार्मिक, और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक भी है।
गंगा का उद्गम उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से होता है और यह नदी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है। गंगा नदी की कुल लंबाई लगभग 2525 किलोमीटर है और यह बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। हिंदू धर्म में गंगा को माँ का स्थान दिया गया है और इसे मोक्षदायिनी माना जाता है। गंगा नदी का जल कृषि, पेयजल, और औद्योगिक कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
गंगा न केवल एक नदी है, बल्कि यह भारतीय जनमानस की आस्था और जीवन की धारा है। इसे भारत की राष्ट्रीय नदी का दर्जा देकर देश ने इसकी महत्ता को मान्यता दी है।