होली (Holi) रंगों का त्योहार है। इसे प्रेम, भाईचारे और एकता का त्योहार भी कहा जाता है, क्योंकि यह लोगों को जाति या धर्म की परवाह किए बिना एक साथ लाता है। होली का त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में अत्यंत उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत में कुछ जगहों पर होली को पांच दिनों तक भी मनाया जाता है।
होली के उत्सव से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। ऐसा कहा जाता है कि हिरण्यकश्यप नाम के एक क्रूर राजा को ब्रह्मा ने आशीर्वाद दिया था कि कोई भी इंसान या जानवर उसे घर के अंदर या बाहर जमीन में या आसमान में नहीं मार सकता। लेकिन वह एक अत्याचारी राजा था और चाहता था कि उसके राज्य में हर कोई उसकी एक देवता के रूप में पूजा करे, लेकिन उसका अपना बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था और वह किसी और को भगवान् मानाने को तैयार नहीं था। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था इसलिए उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में ले कर आग के अलाव में बैठ जाए। कहा जाता है कि इस जघन्य कृत्य के दिन होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर जलती हुई लकड़ियों के ढेर पर बैठ गई लेकिन प्रह्लाद के जलने की बजाय भगवान विष्णु ने उसे बचा लिया और होलिका राख हो गई। तब भगवान विष्णु आधे सिंह और आधा मानव के रूप में वहां प्रगट हो कर हिरण्यकश्यप को अपनी जाँघों पर लेटा कर उसका पेट फाड़कर उसका वध कर दिया। इसलिए, होली के उत्सव को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है।

होली से एक दिन पहले शाम को प्रह्लाद और होलिका के प्रसंग को याद करते हुए लकड़ीयों का अलाव जला कर बुरी शक्तियों के जलने का प्रतीक के रूप में यह अनुष्ठान किया जाता है जिसे ‘होलिका दहन’ कहा जाता है। लोग भगवान के गुणगान करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए होलिका के इर्दगिर्द इकट्ठा होते हैं।
अगला दिन शायद भारत में सबसे रंगीन दिन होता है। लोग सुबह से अपने दोस्तों और परिवार के साथ रंगों से खेलना शुरू कर देते हैं। वे एक दूसरे पर रंगीन पानी छिड़कते हैं। बच्चे वाटर गन का उपयोग करके रंगों की बौछार करते हुए इधर-उधर दौड़ते हैं। बड़े बजुर्ग भी इस दिन बच्चे बन जाते हैं। वे एक-दूसरे के चेहरों पर अबीर और गुलाल लगाते हैं। लोग इस दिन नाचते गाते हैं, कुछ लोगों द्वारा इस दिन ‘भांग’ से बने एक विशेष पेय पीते हैं।
पूरा दिन रंगों से खेलने के बाद लोग शाम को स्नान आदि करने के बाद साफ़ कपड़े पहन कर अपने दोस्तों और अन्य परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए जाते हैं। हर उम्र के लोग होली की खास लजीज गुझिया को बड़े चाव से खाते हैं।

संक्षेप में, होली प्रेम और भाईचारे का प्रसार करती है। यह देश में सद्भाव और खुशी लाता है। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह रंगारंग त्योहार लोगों को एक करता है और जीवन से हर तरह की नकारात्मकता को दूर करता है।